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कैसे समाज के बच्चों को सुरक्षित किया जाए
छोटानागपुर कल्याण निकेतन के विलेज मोबिलीज़ेर द्वारा लूक्की बाहर ग्राम पंचायत कोच्देगा प्रखंड सिमडेगा जिला सिमडेगा में आज लोगों को बाल विवाह मुक्त भारत, इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटक्शन ,बाल श्रम, बाल यौन शोषण , बाल तस्करी के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई और इन सब पर स्वयं रोकथाम कैसे लगाया जाए और अपने क्षेत्र में इन सब अपराधों को कैसे रोका जाए और कैसे समाज के बच्चों को सुरक्षित किया जाए और इन सब में से किसी भी समस्या को सामने देखने पर 1098 या 100 नंबर में या 112 नंबर में कॉल करने की और तुरंत इसकी जानकारी देने की सलाह बताई गई की जानकारी दी गई
Chowkidar Meeting At Kurdeg Police Station
आज 21/01/2024 कुरडेग थाना के अंतर्गत संस्था छोटानागपुर कल्याण निकेतन और सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान से कुरडेग थाना में चौकीदार बैठक किया गया जिसमें थाना के सभी कर्मी उपस्थित है इसमें बाल यौन शोषण ,बाल श्रम और बाल विवाह और बाल तस्करी को लेकर बातचीत किया गया जिसमें चौकीदार को यह बताया गया कि वह जमीनी स्तर से जुड़े हुए हैं और उन्हें ग्रामीणों को यह जागरूक करने में उनकी अहम भूमिका रहती है यह भी बताया गया कि बाल यौन शोषण में कभी भी समझौता नहीं किया जाता है इसमें अगर जो इस घटना को सुनकर इसमें सहयोग नहीं करता उन्हें भी उनके ऊपर भी करवाई किया जाता है और हमें सभी को बताना है कि इसमें समझौता न करें और ना डरे इस तरह के कई बातें एक दूसरे को साझा किया गया यह भी बताया गया है कि इस तरह के केस में कम्पसेशन की भी व्यवस्था सरकार की तरफ से किया गया है इस अवसर पर थाना के सभी चौकीदार उपस्थित थे कुरडेग थाना प्रभारी मनीष कुमार चौकीदार देवंती देवी, रामजतन चिक, रेशमी कुमारी, दीनेश्वर चिक, सुधराम मांझी ,रहन प्रधान ,जमुना चिक संस्था का छोटानागपुर कल्याण निकेतन मनोज कुमार, जिला समन्वयक संस्था की सचिव प्रियंका के द्वारा सभी को धन्यवाद दिया गया संस्था का मोबिलाइज सुषमा मुंडा, प्रदीप कुल्लू भी उपस्थित थी
Chowkidaar Meeting At Thethaitangar Police Station
आज 14/01/2023 ठेठईटांगर थाना के अंतर्गत संस्था छोटा नागपुर कल्याण निकेतन और सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान से ठेठईटांगर थाना में चौकीदार बैठक किया गया जिसमें थाना के सभी कर्मी उपस्थित है इसमें बाल यौन शोषण ,बाल श्रम और बाल विवाह और बाल तस्करी को लेकर बातचीत किया गया जिसमें चौकीदार को यह बताया गया कि वह जमीनी स्तर से जुड़े हुए हैं और उन्हें ग्रामीणों को यह जागरूक करने में उनकी अहम भूमिका रहती है यह भी बताया गया कि बाल यौन शोषण में कभी भी समझौता नहीं किया जाता है इसमें अगर जो इस घटना को सुनकर इसमें सहयोग नहीं करता उन्हें भी उनके ऊपर भी करवाई किया जाता है और हमें सभी को बताना है कि इसमें समझौता न करें और ना डरे इस तरह के कई बातें एक दूसरे को साझा किया गया यह भी बताया गया है कि इस तरह के केस में कम्पसेशन की भी व्यवस्था सरकार की तरफ से किया गया है इस अवसर पर थाना के सभी चौकीदार उपस्थित थे शिक्षु डीएसपी रविकांत साव, अशोक कुमार झा नागेश्वर सिंह ,चौकीदार अरुण बबड़ाइक, महेश केरकेट्टा, कुंवर बड़ाइक, कलावती देवी, मनोज कुमार संस्था का छोटा नागपुर कल्याण निकेतन का जिला समन्वयक संस्था की सचिन प्रियंका के द्वारा सभी को धन्यवाद दिया गया संस्था का मोबिलाइज शारदा देवी विमला देवी सरिता कुमारी भी उपस्थित थी
Chowkidar Meeting At Bansjor Police Station
आज दिनांक 7 जनवरी 2024 को सिमडेगा जिले के बाँसजोर प्रखंड के बाँसजोर थाना परिसर में छोटानागपुर कल्याण निकेतन सिमडेगा द्वारा संस्था सचिव प्रियंका सिन्हा, पास्को सपोर्ट पर्सन मनोज कुमार की उपस्थिति में चौकीदार मीटिंग किया गया। जिसमें थाना प्रभारी मैथ्यू एक्का, ए॰ एस॰ आई॰ अनिल कुमार और नवल किशोर शर्मा, चौकीदार और थाना के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे। जहां संस्था सचिव और पास्को सपोर्ट पर्सन द्वारा बाल विवाह, बाल तस्करी, बाल मजदूरी, पॉस्को जैसे मुद्दों पर चर्चा किया गया और उन्हें यह बताया गया कि हमारी संस्था बच्चों के मुद्दे पर कार्य करती है और उन्हें सहयोग प्रदान करने तथा न्याय दिलाने में सहयोग करने का कार्य करती है। चौकीदार मीटिंग को करने का यही उद्देश्य था कि यदि कहीं किसी बच्चे के मसले पर कोई केस आता है तो थाना द्वारा सहयोग प्रदान किया जाए और उस बच्चे को सहयोग और न्याय दिलाने का कार्य किया जा सके।
बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए शपथ ग्रहण किया
आज दिनांक 26 .12.2023 को बानो प्रखंड में जनता दरबार किया गया जिसमें लोगो ने बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए शपथ ग्रहण किया जिसमें संस्था छोटानागपुर कल्याण निकेतन के मोबिलाइज शारदा देवी द्वारा बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए शपथ ग्रहण किया उन्होंने कहा कि कहीं भी बाल विवाह का सूचना मिलने है तो तुरंत हमारे द्वारा प्रशासन को सूचित किया जाएगा इसमें प्रखंड पदाधिकारी नईमुद्दीन अंसारी जिला परिषद बिरजू कंदूला मुखिया विश्वनाथ बड़ाइक वार्ड आश्रिता भेंगरा रोजगार सेवक पंचायत सेवकअजय सिंह एवं जनता उपस्थित थे
न्याय देने में नाकाम हो रहीं फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतें
न्याय देने में नाकाम हो रहीं फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतें योन शोषण के पीड़ित बच्चों को है न्याय का इंतजार केंद्र सरकार की तमाम नीतियों, प्रयासों और वित्तीय प्रतिबद्धताओं के बावजूद पॉक्सो के मामलों की सुनवाई के लिए बनाई गई विशेष त्वरित अदालतों में 31 जनवरी 2023 तक देश में 2,43,237 मामले लंबित थे। अगर लंबित मामलों की इस संख्या में एक भी नया मामला नहीं जोड़ा जाए तो भी इन सारे मामलों के निपटारे में कम से कम नौ साल का समय लगेगा।
झारखंड की बात करें तो यहां पॉक्सो के लंबित मामलों के निपटारे में तकरीबन दस साल का वक्त लगेगा। साथ ही 2022 में देश में पॉक्सो के सिर्फ तीन फीसदी मामलों में सजा सुनाई गई। ये चौंकाने वाले तथ्य एक शोधपत्र ‘जस्टिस अवेट्स : ऐन एनालिसिस ऑफ द एफिकेसी ऑफ जस्टिस डेलिवरी मैकेनिज्म्स इन केसेज ऑफ चाइल्ड एब्यूज’ से उजागर हुए हैं जिसे छोटानागपुर कल्याण निकेतन ने जारी किया। इस शोधपत्र को इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) ने तैयार किया है। आईसीपीएफ और छोटानागपुर कल्याण निकेतन‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के सहयोगी संगठन हैं। यौन शोषण के शिकार बच्चों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2019 में एक ऐतिहासिक कदम के जरिए फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतों के गठन और हर साल इसके लिए करोड़ों की राशि देने के बावजूद इस शोधपत्र के निष्कर्षों से देश के न्यायिक तंत्र की क्षमता और दक्षता पर सवालिया निशान उठ खड़े होते हैं।
शोधपत्र के अनुसार झारखंड की पॉक्सो अदालतों में जनवरी 2023 तक 4,408 मामले लंबित हैं। इस हिसाब से सभी पीड़ित बच्चों को 2033 तक ही न्याय मिल पाएगा। शोधपत्र आगे कहता है कि मौजूदा हालात में जनवरी, 2023 तक के पॉक्सो के लंबित मामलों के निपटारे में अरुणाचल प्रदेश को 30 साल लग जाएंगे, जबकि दिल्ली को 27, पश्चिम बंगाल को 25, मेघालय को 21, बिहार को 26 और उत्तर प्रदेश को 22 साल लगेंगे। फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतों जैसी विशेषीकृत अदालतों की स्थापना का प्राथमिक उद्देश्य यौन उत्पीड़न के मामलों और खास तौर से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम से मुड़े मामलों का त्वरित गति से निपटारा करना था। इनका गठन 2019 में किया गया और भारत सरकार ने हाल ही में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में इसे 2026 तक जारी रखने के लिए 1900 करोड़ रुपए की बजटीय राशि के आबंटन को मंजूरी दी है।
इन फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतों के गठन के बाद माना गया कि वे इस तरह के मामलों का साल भर के भीतर निपटारा कर लेंगी लेकिन इन अदालतों में आए कुल 2,68,038 मुकदमों में से महज 8,909 मुकदमों में ही अपराधियों को सजा सुनाई जा सकी है। अध्ययन से यह उजागर हुआ है कि प्रत्येक फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालत ने साल भर में औसतन सिर्फ 28 मामलों का निपटारा किया। इसका अर्थ यह है कि एक मुकदमे के निपटारे पर नौ लाख रुपए का खर्च आया। शोधपत्र के अनुसार, “प्रत्येक विशेष अदालत से हर तिमाही 41-42 और साल में कम से कम 165 मामलों के निपटारे की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन आंकड़ों से लगता है कि गठन के तीन साल बाद भी ये विशेष अदालतें अपने तय लक्ष्य को हासिल करने में विफल रही हैं।
इन मामलों में कानूनी प्रक्रिया के दौरान यौन शोषण के पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों को पहुंचे आघात और उनकी वेदना की चर्चा करते हुए छोटानागपुर कल्याण निकेतन के निर्देशक प्रियंका ने कहा, “पीड़ितों और उनके परिवारों को पहुंचे सदमे और उनकी पीड़ा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसके अलावा न्याय की तलाश में इन परिवारों को अक्सर असहनीय कठिनाइयों और दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। यह उन पर ढाए गए अत्याचारों और पीड़ा को रोजाना याद करने और उसे रोजाना जीने के समान है। जल्द से जल्द न्याय ही उन्हें इस पीड़ा से छुटकारा दिलाने का एकमात्र रास्ता है।” सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए शोधपत्र आगे कहता है कि बाल विवाह बच्चों के साथ बलात्कार है। उधर, वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि देश में रोजाना 4,442 नाबालिग लड़कियों को शादी का जोड़ा पहना दिया जाता है। इसका मतलब यह है कि देश में हर मिनट तीन बच्चियों को बाल विवाह के नर्क में झोंक दिया जाता है जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट कहती है कि देश में बाल विवाह के रोजाना सिर्फ तीन मामले दर्ज होते हैं। आईसीपीएफ के संस्थापक भुवन ऋभु ने बाल विवाह को रोकने के लिए देश में मजबूत नीतियों, कड़े कानूनों और पर्याप्त वित्तीय प्रतिबद्धताओं के बावजूद सजा की मामूली दरों को गंभीर चिंता का विषय करार दिया।
भुवन ऋभु ने कहा, “कानून की भावना को हर बच्चे के लिए न्याय में रूपांतरित होने की जरूरत है। अगर बच्चों के यौन शोषण के आरोपियों में महज तीन प्रतिशत को ही सजा मिल पाती है तो ऐसे में कहा जा सकता है कि कानूनी निरोधक उपाय नाकाम हैं। अगर पीड़ित बच्चों को बचाना है तो सबसे जरूरी चीज यह है कि बच्चों और उनके परिवारों की सुरक्षा की जाए, उनके पुनर्वास और क्षतिपूर्ति के इंतजाम किए जाएं और पूरा न्यायिक तंत्र निचली अदालतों से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जैसी ऊपरी अदालतों तक मुकदमे का समयबद्ध निपटारा सुनिश्चित करे।” यौन शोषण के पीड़ित बच्चों को एक समयबद्ध और बच्चों के प्रति मैत्रीपूर्ण तरीके से न्याय दिलाना सुनिश्चित करने और लंबित मामलों के निपटारे के लिए आईसीपीएफ ने कई अहम सिफारिशें की हैं। सर्वप्रथम, सभी फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतें संचालन में हों और वे कितने मामलों का निपटारा कर रहे हैं, इसकी निगरानी के लिए एक फ्रेमवर्क हो।
इसके अलावा इन अदालतों से संबद्ध पुलिस से लेकर जजों और और पूरा अदालती स्टाफ को पूरी तरह सिर्फ इन्हीं अदालतों के काम के लिए रखा जाए ताकि ये प्राथमिकता के आधार पर मामलों को अपने हाथ में ले सकें। साथ ही लंबित मामलों के निपटारे के लिए इन अदालतों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही पारदर्शिता के लिए इन सभी सभी फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतों के कामकाज को सार्वजनिक दायरे में लाया जाए। यह रिपोर्ट विधि एवं कानून मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एवं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो से मिले आंकड़ों पर आधारित है।
किसी भी अन्य जानकारी के लिए संपर्क करें
जितेंद्र परमार
8595950825
महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति जागरूक
आज 07/12/2023 घटुबाहर के पंचायत भवन में पंचायत स्तरीय इंटरफेस बैठक किया गया जिसमें उप मुखिया ,वार्ड एवपंचायत सेवक महिला मंडलऔर ग्रामीणों की उपस्थिति में जेंडर आधारित हिंसा के मुद्दे पर संस्था छोटानागपुर कल्याण निकेतन सिमडेगा द्वारा बैठक किया गया जहां लोगों को महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति जागरूक किया गया तथा उन्हें उनके अधिकार के प्रति भी जागरूक किया गया जहां उन्हें यह बताया गया की महिला और पुरुष दोनों एक समान है कोई भी किसी से कम नहीं है ना ही किसी का पद ऊंचा है सभी व्यक्ति एक समान है अधिकांश महिलाओं को पुरुषों द्वारा दबाया जाता है इस तरह के कई बातें उन्हें बताया गया और उन्हें यह भी बताया गया कि यह कार्यक्रम 16 दिवसीय कार्यक्रम है या 16 दिन महिलाओं के अधिकार के लिए हर क्षेत्र में बात किया जाता है जिससे महिलाएं आगे बढ़ सके इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी व्यक्तियों द्वारा बाल विवाह का भी शपथ ग्रहण किया गया और वह अपने क्षेत्र में होने वाले परेशानी के बारे में भी बातचीत किया गया इस कार्यक्रम में उप मुखिया वार्ड और गांव के सभी महिला पुरुष उपस्थित थे संस्था के जिला सामान्य हेमंत कुमार संस्था के सचिव अंत में सभी को धन्यवाद दिया इसके साथ शारदा देवी आशीष बिलॉन्ग पूर्व जे भी उपस्थित थे अंत में सभी को इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए और अपने अधिकार के प्रति जागरूक होने के लिए संस्था के सचिन प्रियंका सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया
छोटानागपुर कल्याण निकेतन द्वारा मनाया गया 16 दिवसीय पखवाड़ा
आज दिनांक 4/12/2023 को सिमडेगा जिला अंतर्गत जिला स्तरीय कार्यक्रम 16 दिवसीय पखवाड़ा को लेकर संस्था छोटा नागपुर कल्याण निकेतन द्वारा मनाया गया जिसमें विभिन्न प्रखंडों और विभिन्न पंचायत से व्यक्ति उपस्थित हुए इस पखवाड़ा के अंतर्गत महिलाओं के साथ अलग-अलग तरह की गतिविधि किया जा रहा है आज जो जिला स्तरीय कार्यक्रम किया गया इसमें जेंडर आधारित हिंसा और असमानता से समानता की तरफ बात किया गया इसमें यह कहा गया कि समाज में जो भी व्यक्ति हैं वह एक समान है महिला पुरुष जाति पार्टी के भेदभाव के बारे में भी बात किया गया यह भी बताया गया कि आज भी महिलाओं के लिए हमारे समाज में एक खाका निर्धारित किया गया है जिसके अंदर उन्हें रहने के लिए कहा जाता है परंतु इन सभी बंधनों के बाद हमारी कई बहाने ऊंची उड़ने भर रही हैं इस तरह के कई बातें बात किया गया इसमें मिलनी एक का अगस्तिना सोरेन शारदा देवी सियाराम सीमा आरती देवी शीशों प्रदीप पाल का प्रदीप कुल्लू प्रशांत राणा उपस्थित थे इस मौके पर क्रिया के उप मुखिया द्वारा भी प्रेरणादायक बात भी बताई गई अंत में संस्था के सचिव प्रियंका सिंह द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापन किया गया
मेरोमडेगा खास बस्ती में महिलाओं एवं किशोरियों द्वारा दीवार लेखन का कार्य किया गया
आज दिनांक 26.11.2023 को जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ चलाए जा रहे 16 दिवसीय अभियान के अंतर्गत जो 25 नवंबर 2023 से 10 दिसंबर 2023 तक चलेगा, इस अभियान के तहत छोटानागपुर कल्याण निकेतन द्वारा मेरोमडेगा खास बस्ती में महिलाओं एवं किशोरियों द्वारा दीवार लेखन का कार्य किया गया जिसके माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक किया गया। इस गतिविधि में महिलाओं एवं किशोरियों के बस्ती के विभिन्न समुदाय के लोगों के घरों के दीवार पर अलग-अलग स्लोगनों को पेंट एवं ब्रश के द्वारा सुनहरे अक्षरों में लिखा गया और साथ ही इस गतिविधि में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लिये। उनके अंदर इस गतिविधि को करने के लिए काफी उत्साह एवं जुनून दिखा। इससे अन्य महिला, किशोरी, ग्रामीण पुरुष तथा शिक्षित एवं अशिक्षित ग्रामीणों के लिए एक अच्छा संदेश दिया गया। इस गतिविधि को देखने के लिए अन्य ग्रामीणों में भी काफी उत्साह दिखा एवं इसे संस्था द्वारा एक सराहनीय पहल कहा गया है क्योंकि जिस परिवार से महिलाओं एवं किशोरियों द्वारा इस गतिविधि में भाग लिया गया उस परिवार के पुरुष सदस्यों को भी काफी गर्व महसूस हुआ जो किसी के पति, भाई, देवर, ससुर इत्यादि रिश्ते में लगती थी।